बुधवार, 11 जुलाई 2012

दमन के खिलाफ जन सम्मेलन में उठी सीमा आजाद और विश्वविजय को रिहा करने की मांग-

``
गोरखपुर। पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह ने कहा है कि देश को शोषण मुक्त कराने का सपना देखने वालों और इसके लिए संघर्ष करने वाले बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के दमन का जोरदार प्रतिरोध करने की जरूरत है। सीमा आजाद और विश्वविजय की गिरफतारी का मामला केवल मानवाधिकार का प्रश्न नहीं बल्कि राजनीतिक संघर्ष का भी प्रश्न है।
श्री सिंह आठ जुलाई को गोरखपुर प्रेस क्लब सभागार में पीयूसीएल, पीयूएचआर, पीपुल्स फोरम, जनंसस्कृ ितमंच द्वारा आयोजित राजकीय दमन के खिलाफ जन सम्मेलन को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन दस्तक की सम्पादक सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय को बिना शर्त रिहा करने, दमनकारी कानूनों को खत्म करने तथा जनता पर राज्य सत्ता के जुल्म ढाने की कार्रवाईयों को बंद करने की मांब को लेकर आयोजित किया गया था। श्री सिंह ने अपने सम्बोधन में सीमा आजाद और विश्वविजय को रिहा कराने के लिए किए जा रहे संघर्ष का ब्यौरा देते हुए कहा कारर्पोरेट घरानें के इशारे पर सरकार द्वारा इस समय देश में जमीन और प्राकृतिक संसाधनों की लूट की सबसे बड़ी कार्रवाई सम्पादित की जा रही है और इसके खिलाफ जो भी आवाज उठा रहा है उसका बर्बर दमन किया जा रहे हैं। दमन के बावजूद संघर्ष धीरे-धीरे निर्णायक रूप ले रहा है जिसके साथ हमें खड़ा होना होगा।
ृत्तराखंड से आए सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत राही, जिन्हें उत्तराखंड की सरकार ने माओवादी होने के आरोप में कई वर्ष तक जेल में बंद रखा, ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि सीमा आजाद और उनके जैसे लोग इसलिए सरकार के लिए खतरा बन गए हैं क्योंकि वह शोषण, अन्याय से पीडि़त जनता की आवाज को उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डा विनायक सेन की रिाई को लेकर शुरू हुआ लोकतांत्रिक संघर्ष  निरन्तर आगे बढ़ रहा है। हमारा आंदोलन जनता के पक्ष में खड़ा है और वही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो अनन्त मिश्र ने कहा कि हमें अपने संघर्ष को वैकल्पिक समाज, संस्कृति बनाने की लड़ाई तक ले जाना होगा। पूंजीवादी ताकतें जनता के दिमाग को बदलने के लिए झूठे सपने दिखाने में लगी हैं जिसको खिलाफ संघर्ष करते हुए समानान्तर सत्ता केन्द्र और संस्कृति का निर्माण जरूरी है। वरिश्ठ कथाकार मदन मोहन ने बुद्धिजीवियों का आहवान किया कि शोषण और दमन के खिलाफ जनता के संघर्ष से एकजुटता बनाएं और अपनी रचनाओं में उसको स्वर दें। युवा सामाजिक कार्यकर्ता राजेश मल्ल ने कहा कि सीमा आजाद को राज्य सत्ता ने इसलिए निशाना बनाया क्योंकि उन्होंने यूपी में जमीन की लूट के खिलाफ प्रतिरोध किया था। उन्होंने कहा कि यूपी में संघर्ष के केन्द्र में जमीन का सवाल ही प्रमुख है। उन्होंने गंगा और यमुना एक्सप्रेस वे से लगायत नोएडा, गाजीपुर आदि स्थानों पर पूंजीपतियों को उपजाउ जमीन दिलाने के लिए कानूनों में किए जा रहे फेरबदल की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया। युवा आलोचक डा अनिल राय ने कहा कि व्यापक आंदोलन के लिए प्रतिरोधात्मक शक्तियों को एकजुट करने की जरूरत है। रामू सिद्धार्थ ने कहा कि राज्य सत्ता ने उन्हीं लोगों को विशेष तौर पर निशाना बनाया है जो प्राकृतिक संसाधनों, जमीन की लूट के खिलाफ मुखर हैं। भाकपा माले के जिला सचिव राजेश साहनी ने कहा कि आंदोलन की ताकत बड़ी होगी तो इस समय खामोश दिख रहा समाज का बड़ा वर्ग भी संघर्ष के साथ खड़ा होगा।पीयूसीलए के जिला संयोजक फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि देश के आजाद होने के बाद से ही सरकारें जनता के संघर्ष को दबाने के लिए कठोर कानून बनाती रही हैं। जनचेतना की मीनाक्षी ने कहा कि हमें इस मुद्दे पर जनता को उद्ेलित करने के लिए अपने आंदोलन, संघर्ष के स्वरूप को नए सिरे से संयोजित करने की जरूरत है। युवा सामाजिक कार्यकर्ता आनन्द पांडेय ने कहा कि भूमण्डलीकरण के दौर में लोकतंत्र को सीमित और नियंत्रित किया जा रहा है। अब सत्ता को जिस तरह का विकास चाहिए, वह उसे नागरिक अधिकारों को कम कर और दमन को बढ़ाकर ही हासिल कर सकता है। जन सम्मेलन का संचालन जनसंस्कृति मंच के प्रदेश सचिव मनोज कुमार सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार अशोक चैधरी ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में मानवाधिकार कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी मौजूद थे।

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

पहला आजमगढ़ फिल्म फेस्टिवल 14 से


पहले आजमगढ़ फिल्म फेस्टिवल की तैय्यारियाँ जोरों पर हैं. लेखिका और एक्टिविस्ट अरुंधति राय के वक्तव्य से पहले आजमगढ़ फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत होगी.
फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्मों के साथ दिल्ली से संजय काक और अनुपमा श्रीनिवासन और भुबनेश्वर से सूर्य शंकर दाश हिस्सा लेंगे. गोरखपुर फिल्म सोसाइटी की पहली डाक्यूमेंटरी खामोशी, जो कि पूर्वांचल में महामारी की तरह कायम इन्सेफेलाइटिस बीमारी से सम्बंधित है, भी दिखाई जायेगी.इस फेस्टिवल में छोटी - बड़ी 15 फिल्मों के अलावा अशोक भौमिक द्वारा प्रगतिशील भारतीय चित्रकारों के चित्रों की प्रदर्शनी जन चेतना के चितेरे और अजय जेतली और अंकुर द्वारा तैयार विश्व सिनेमा की 11 कालजयी फिल्मों के पोस्टरों की प्रदर्शनी भी दिखाई जायेगी. गोरखपुर फिल्म सोसाइटी भी डीवीडी और किताबों की बिक्री के लिए अपना स्टाल लगाएगी. फेस्टिवल के दूसरे दिन यानि सुबह 11 बजे से लेकर 1 तक बच्चों के लिए एक छोटी और एक फ़ीचर फिल्म दिखाई जायेगी. इस मौके पर अशोक भौमिक  के उपन्यास ' शिप्रा एक नदी का नाम है' का लोकार्पण भी होगा. 
प्रतिरोध के सिनेमा अभियान का यह 26वां और आजमगढ़ का पहला फिल्म फेस्टिवल होगा.  इस फेस्टिवल में शिरकत करने के लिए किसी भी तरह के औपचारिक आमन्त्रण की जरुरत नहीं है.
फेस्टिवल 14 जुलाई को सुबह 11 बजे आजमगढ़ के नेहरु हाल में शुरू होगा. 

शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

राजकीय दमन के खिलाफ जन सम्मेलन आठ जुलाई को
 गोरखपुर । पीयूसीएल, पीयूएचआर, पीपुल्स फोरम, जनसंस्कृति मंच सहित कई जनसंगठनों द्वारा आठ जुलाई को पूर्वान्ह 11 बजे से प्रेस क्लब सभागार में राजकीय दमन के खिलाफ जन सम्मेलन का आयोजन किया गया है। यह आयोजन मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं पत्रकार सीमा आजाद व उनके पति विश्वविजय को गिरफ्तार किए जाने तथा देशद्रोह के आरोप में सजा सुनाए जाने के प्रतिरोध में किया गया है। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रो अनन्त मिश्र करेंगे जबकि मुख्य वक्ता के रूप में पीयूसीएल के केन्द्रीय सचिव चितरंजन सिंह सम्बोधित करेंगे। यह जानकारी पीयूएचआर के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने एक विज्ञप्ति में दी।