गुरुवार, 11 जुलाई 2013

पूर्वांचल की स्वास्थ्य जरूरतों की अनदेखी कर रही है केन्द्र और प्रदेश सरकार


                          

गोरखपुर हेल्थ फोरम ने दोनों सरकारों से पूछा सवाल-बीआरडी को अपग्रेड करने में देरी क्यों ?
ट्रामा सेंटर और पीएमआर विभाग को मिलना वाल धन देने में देरी क्यों ?
जवाब दे केन्द्र और प्रदेश सरकार
गोरखपुर। गोरखपुर हेल्थ फोरम ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार पर पूर्वांचल के स्वास्थ्य जरूरतों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा है कि उसे बीआरडी मेडिकल कालेज को अपग्रेड करने, ट्रामा सेंटर और पीएमआर (फिजिकल, मेडिसिन एंड रीहैविलेटेशन डिपार्टमेंट) विभाग को शुरू करने के लिए जरूरी धन का तुरन्त जारी करना चाहिए।
यह बातें आज पत्रकार वार्ता में गोरखपुर हेल्थ फोरम के संयोजक एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो राधेमोहन मिश्र, वरिष्ठ सदस्य मनोज कुमार सिंह, डा चन्द्रभूषण अंकुर, अशोक चैधरी, सैयद अख्तर अली, नितेन अग्रवाल ने कही। प्रो मिश्र ने बताया कि केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की शुरूआत वर्ष 2006 में की थी। इसके तहत स्वास्थ्य मानकों में पिछड़े राज्यों में एम्स जैसे संस्थान का निर्माण कराया जाना था। साथ ही इन राज्यों के मेडिकल कालेजों को अपग्रेड कर वहां सुपर स्पेशलिटी विभाग स्थापित किए जाने थे। केन्द्र और प्रदेश की राज्य सरकार ने जरूरत और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में उल्लखित मानकों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में एम्स जैसा संस्थान गोरखपुर में स्थापित न करकर रायबरेली में स्थापित करने का निर्णय लिया। यह निर्णय पूर्वांचल के लोगों के साथ विश्वासघात था। इसके खिलाफ गोरखपुर हेल्थ फोरम ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है जिस पर सुनवाई चल रही है। 
गोरखपुर हेल्थ फोरम के सदस्यों ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार ने एम्स जैसा संस्थान गोरखपुर को तो नहीं ही दिया, मेडिकल कालेजों को अपग्रेड करने के मामले में भी पूर्वांचल की जनता के साथ नाइंसाफी की। इंसेफेलाइटिस जैसी बड़ी त्रासदी का मुकाबला कर रहे पूर्वांचल के इस मेडिकल कालेज को पीएमएसवाई के तहत अपग्रेड करने का निर्णय तीसरे चरण में 19 मेडिकल कालेज के बाद वर्ष 2011-1२ में किया गया। इस योजना के तहत बीआरडी मेडिकल कालेज को 150 करोड़ से अपग्रेड किया जाना है। दुख की बात है कि दो वर्ष बाद भी केन्द्र और प्रदेश सरकार की लापारवाही से इस योजना के लिए बने प्रस्ताव को स्वीकृत कर इसके लिए धन
जारी नहीं किया जा सका है जबकि पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस व अन्य बीमारियों की भयावहता को देखते हुए इसे योजना के तहत सभी औपचारिकताएं तत्काल पूरा कर इसके लिए धन जारी 
किया जाना चाहिए था। यदि धन समय से जारी हो गया होता तो अब तक इसके लिए भवन का निर्माण काम पूरा होने की स्थिति में होता।
प्रो मिश्र ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार को जवाब देना चाहिए कि वे इस योजना के तहत बने प्रस्ताव को स्वीकृत करने और धन जारी करने में देरी क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के संयुक्त सहयोग से बीआरडी मेडिकल कालेज में बने ट्रामा सेंटर और पीएमआर विभाग को अभी तक इसलिए संचालित नहीं किया जा सका है कि क्योंकि दोनों को अवशेष धन अभी तक नहीं दिया गया है। ट्रामा सेंटर के लिए केन्द्र सरकार को 138 लाख, पीएमआर विभाग के लिए 61 लाख रुपए देने हैं। यह धन न मिलने से पीएमआर विभाग में चिकित्सकों और स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। यह विभाग इंसेफेलाइटिस से विकलांग हुए बच्चों के इलाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन आवश्यक धन नहीं मिलने से इसका सुचारू रुप से संचालन नहीं हो पा रहा है। इसी तरह ट्रामा सेंटर शुरू नहीं हो पाया है और यहां नियुक्त किए गए कर्मचारी वेतन न मिलने से परेशान हैं और कई बार हड़ताल पर जा चुके हैं। 
गोरखपुर हेल्थ फोरम ने आरोप लगाया कि धन देने में देरी से दोनों सरकारों के इस दावे की कलई खुल जाती है कि वह बीआरडी मेडिकल कालेज को मजबूत बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोडी जा रही है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह पूर्वांचल में स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोर स्थिति को देखते हुए यहां जिन योजनाओं की स्वीकृति मिली है उसे लालफीताशाही के हवाले न छोडे बल्कि खुद पहल लेते हुए धन जारी कराए। राज्य सरकार भी इन योजनाओं के लिए धन जारी करने के लिए केन्द्र सरकार पर आवश्यक दबाव नहीं बना रही है। 

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