सोमवार, 9 मई 2011

मजदूरों के दमन के खिलाफ जनसंगठन लामबंद

छह मई को प्रेस क्लब में राजनीतिक दलों, जनसंगठनों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठक में पारित प्रस्ताव, मांग और निर्णय

गोरखपुर। गोरखपुर के जनसंगठनों, राजनीतिक दलों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बड़ी बैठक में अंकुर उद्योग लि के प्रबंधतंत्र द्वारा किराए पर बुलाए गए गुण्डों द्वारा की गई फायरिंग में 20 मजदूरों के घायल होने और इस मामले में प्रशासन द्वारा एकपक्षीय व दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही किए जाने की कड़ी भत्र्सना की गई। बैठक में प्रशासन से मजदूरों व मजूदर नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, गोलीबारी के लिए जिम्मेदार अशोक जालन, कुख्यात गुंडे प्रदीप सिंह सहजनवा और उसके साथियों को अविलंब गिरफतार करने और मजदूरों की समस्याओं का हल निकालने के लिए वार्ता शुरू करने की मांग की गई। मांग पूरी न होने पर कलेक्टेट में विशाल धरना-प्रदर्शन करने का एलान किया गया।
आज की बैठक में भाकपा माले, माकपा, भाकपा, समाजवादी जनपरिषद नेताओं के अलावा जनसंस्कृति मंच, पीयूसीएल, पीयूएचआर, सीटू आदि संगठनों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में मजदूर आंदोलन को बाहरी लोगों और माओवादियों द्वारा प्रेरित कहे जाने पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और कहा गया कि अपने अधिकारों की मांग को लेकर होने वाले हर आंदोलन को आजकल माओवादी कहना एक फैशन हो गया है। हास्यास्पद यह है कि मंडल और जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी भी कारखानेदारों और सदर सांसद की भाषा बोल रहे हैं। प्रशासन यदि अपनी उर्जा का एक अंश भी मजदूरों, मजदूर नेताओं और उनके आंदोलन का समर्थन करने वाले लोगों की पृष्ठिभूमि जानने के बजाय कारखानों में श्रम कानूनों का पालन कराने और मजदूरों को शोषण से बचाने में खर्च करता तो आज यह स्थिति नहीं उत्पन्न होती। औद्योगिक अशांति की बात करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि मजदूरों के हक पर डाका डालकर कोई शांति नहीं हो सकती है। औद्योगिक विकास का मतलब यह नहीं है कि कारखानेदार नियम-कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए अपनी जेब भरे और मजदूर हाड़तोड़ मेहनत करने के बावजूद इतना भी कमा न सके कि भूख से मरने से बच जाए। बैठक का संचालन जनसंस्कृति मंच के प्रदेश सचिव मनोज कुमार सिंह ने किया। बैठक में पीयूएचआर के जिला अध्यक्ष सुभाष पाल एडवोकेट, वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन, वरिष्ठ कवि देवेन्द्र आर्य, प्रमोद कुमार, पीयूसीएल के जिला संयोजक फतेहबहादुर सिंह, सीपीआई एमएल के जिला सचिव राजेश साहनी, सीपीआई एम के जिला सचिव जावेद अजीज, उत्तर प्रदेश मेडिकल रिप्रजेन्टेटिव्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव, जनसंस्कृति मंच के प्रदेश सचिव एवं गोरखपुर फिल्म सोसाइटी के संयोजक मनोज कुमार सिंह, जनसंस्कृतिमंच के गोरखपुर के संयोजक अशोक चैधरी, एनएपीएम के केशव चन्द्र, पीयूएचआर के जिला सचिव श्याम मिलन एडवोकेट, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के चक्रपाणि, संस्कृति कर्मी रामू सिद्धार्थ, डा अबुलैस अंसारी, अमोल राय, आईएच सिद्दीकी, मारकंडेय मनि, वनटांगिया संघर्ष समिति के विनोद तिवारी, अख्तर अली, विवेक सिंह, नरेन्द्र सिंह, शिवनन्दन सहाय, रामकिंकर यादव आदि उपस्थित थे। बैठक में मजदूर नेता तपिश मैंदोला और प्रमोद कुमार ने भी अपनी बात रखी।
प्रस्ताव
1-गोरखपुर जिला और मंडल प्रशासन तथा कारखानेदारों व उनके समर्थकों द्वारा मजदूर आंदोलन को बाहरी और माओवादियों द्वारा प्रेरित बताना श्रमिक समाज का अपमान है। यह आंदोलन पूरी तरह से लोकतांत्रिक तौर-तरीकों और फैक्टी मजदूरों द्वारा संचालित है। अपने अधिकारों की मांग करना कोई नाजायज काम नहीं है और इसका सरकार, प्रशासन और कारखानेदारों द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए।
2-तीन मई की घटना के लिए पूर्णतः अंकुर उद्योग लिमिटेड का प्रबंध तंत्र जिम्मेदार है। मजदूर दिवस के मौके पर रैली में भाग लेना मजूदरों को अधिकार है और इसे कोई छीन नहीं सकता। मजदूर दिवस पर आयोजित रैली में भाग लेने पर डेढ़ दर्जन मजूदरों को निलम्बित कर खुद प्रबंध तंत्र ने विवाद की शुरूआत की। मजदूरों ने जब लोकतांत्रिक तरीके से इसका विरोध किया तो किराए पर बुलाए गए गुण्डे प्रदीप सिंह सहजनवा और उसके साथियों ने सीधे मजदूरों पर फायरिंग की। यह एकतरफा मजदूरों पर हमला था। प्रशासन और कारखानेदार का यह कहना कि मजदूरों द्वारा पथराव व फायरिंग की गई, पूरी तरह से गलत है। यदि मजदूरों द्वारा जवाबी कार्रवाई की गई तो कोई घायल क्यों नहीं हुआ ? जबकि गुण्डों की फायरिंग में 20 मजदूरों को गोली लगी।
3-प्रशासन की कार्यवाही एकतरफा और दुर्भावना पूर्ण है। एकदम साफ है कि मजदूरों पर धुआंधार फायरिंग की गई जिसमें 20 मजदूर घायल हुए। इसके बावजूद मजदूरों और उनके नेताओं के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। प्रशासन की यह कार्यवाही एकदम अस्वीकार्य है और हम इसकी भत्र्सना करते हैं।
मांग
1-मजदूरों और मजदूर नेताओं पर दर्ज मुकदमे बिना शर्त अविलम्ब वापस लिए जाएं
2-मजदूरों पर फायरिंग के लिए जिम्मेदार अंकुर उद्योग लि के मालिक अशोक जालान, कुख्यात अपराधी प्रदीप सिंह सहजनवा और उसके सभी साथियों को तुरन्त गिरपतार किया जाए।
3-जिला प्रशासन मजदूरों की मांग और समस्या के निपटारे के लिए बैठक आयोजित करे जिसमें प्रशासन, श्रम विभाग, मजदूर प्रतिनिधियों के अलावा नागरिक समाज के दो प्रतिनिधि भी शामिल हों।
4-यह सुनिश्चित किया जाए कि गीडा और बरगदवा स्थित औद्योगिक इकाइयों में श्रम कानूनों का पूरी तरह पालन हो। औद्योगिक इकाइयों में श्रम कानूनों के अनुपालन की स्थिति के पर्यवेक्षण के लिए प्रशासन त्वरित कार्यबल गठित करे जिसमें नागरिक समाज के भी प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
5-घायल मजदूरों के निःशुल्क ओर बेहतर इलाज की व्यवस्था की जाए और प्रत्येक घायल मजदूर को दो-दो लाख रूपए का मुआवजा दिया जाए
6-अंकुर उद्योग में लाक आउट को अवैध घोषित कर फैक्टी को खोल जाए और सभी निलम्बित मजदूरो को काम पर वापस लिया जाए
निर्णय
1-मजदूरों पर फायरिंग की घटना की स्वतंत्र जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई जिसके अध्यक्ष पीयूसीएल के जिला संयोजक फतेहबहादुर सिंह होंगे। इसके अलावा इसमें पीयूएचआर के सुभाष पाल एडवोकेट, श्याममिलन एडवोकेट, शिवनंदन, राकेश श्रीवास्तव होंगे। यह कमेटी एक सप्ताह मंे अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी।
2-यदि हमारी मांगों पर पांच दिन में कार्यवाही नहीं होती है तो गोरखपुर के जनसंगठन, मजदूर संगठन, राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता कलेक्टेट में विशाल-धरना प्रदर्शन करेंगे।

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