रविवार, 3 जुलाई 2011

साहित्य ही मेरे लिए जीवन है-प्रो परमानंद

प्रो परमानंद को हिन्दी अकादमी दिल्ली का गद्य विधा सम्मान
गोरखपुर। सुप्रसिद्ध आलोचक एवं कवि प्रो परामानंद श्रीवास्तव को रविवार को प्रेस क्लब सभागार में आयोजित एक समारोह में हिन्दी अकादमी, नई दिल्ली का गद्य विधा सम्मान प्रदान किया गया। अकादमी के सचिव रवीन्द्र श्रीवास्तव परिचय दास ने प्रो परमानंद को सम्मान स्वरूप शाल, सम्मान पत्र, पचास हजार रूपए का चेक प्रदान किया। इस मौके प्रो परमानंद श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य ही मेरे लिए जीवन है और जीवन ही साहित्य है।
प्रो परमानंद को यह सम्मान लेने के लिए दिल्ली जाना था लेकिन वह वहां नहीं जा पाए थे। इस कारण हिन्दी अकादमी ने उन्हें गोरखरपुर आकर यह सम्मान देने का निर्णय लिया था। सम्मान देने के लिए अकादमी के सचिव रवीन्द्र श्रीवास्तव खुद यहां आए थे। सम्मान अर्पण समारोह का आयोजन गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब और हिन्दी अकादमी ने संयुक्त रूप से किया था। सम्मान प्राप्त करने के बाद प्रो परमानंद ने कहा कि उन्हें अच्छा लग रहा है कि अपने शहर में अपने लोगों के बीच हिन्दी अकादमी का यह सम्मान ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने हिन्दी अकादमी के पुरस्कारों को गैरविवादास्पद बताया और अकादमी द्वारा अपने पुरस्कारों का दायरा राष्टीय स्तर तक बढाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। पूर्व में व्यास सम्मान, भारत भारती सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके प्रो परमानंद ने एक लेखक के जीवन में यायावरी और औघड़पन को उर्जा का एक बड़ा स्रोत बताया। इसके पूर्व युवा आलोचक डा अनिल राय ने प्रो परामनंद को इतिहास के भीतर रहते हुए इतिहास के सवालों से टकराने वाले और नया इतिहास को सृजित करने वाला लेखक बताया। हिन्दी अकादमी के सचिव रवीन्द्र श्रीवास्तव ने अकादमी के कार्यों और योजनाओं की चर्चा करते हुए प्रो परामानंद की आलोचना ललित निबंध की तरह हैं और उन्होंने आलोचना को नई भाषा दी है। उनकी आलोचना सिर्फ कविता केन्द्रित नहीं है बल्कि कहानी, उपन्यास सहित कई विधाओं तक जाती है। श्री श्रीवास्तव ने प्रो परामनंद की डायरियों की चर्चा करते हुए हिन्दी अकादमी की ओर से उनके प्रकाशन की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने साहित्यकारांे का आह्वान किया कि वे हिन्दी अकादमी जैसी संस्थाओं को एक वृहततर प्लेटफार्म बनाने के प्रयासों में मदद करें। वरिष्ठ कथाकार प्रो रामदेव शुक्ल ने नए लेखकों, कवियों को प्रोत्साहित करने और उनकी रचनशीलता को रेखांकित करने में प्रो परमानंद के योगदान की चर्चा की। प्रो अनन्त मिश्र ने कहा कि प्रो परमानंद हमेशा नएपन के साथ रहे हैं। आज के समय की कहानी, कविता एक नए संस्करण के दौर में है और निश्चित रूप से प्रो परमानंद इसकी भी अगुवाई करेंगे। कथाकार मदन मोहन ने प्रो परमानंद को प्रेम और प्रतिरोध का लेखक बताया। अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो हरिशंकर श्रीवास्तव ने प्रो परमानंद ने उपलब्धियां अपने पैर पर खड़े होकर प्राप्त किया। उन्होंने अपना कोई स्कूल नहीं बनाया। वह निरन्तर साहित्य साधना में संलग्न रहे। समारोह को कवि अष्टभुजा शुक्ल, प्रो रामदरश राय, रवीन्द्र श्रीवास्तव जुगानी भाई और दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डा उदयभान मिश्र ने भी सम्बोधित किया। स्वागत वक्तव्य प्रेस क्लब के अध्यक्ष अशोक कुमार अज्ञात ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा दीपक प्रकाश त्यागी ने किया। संचालन प्रो परामनंद पर डाक्यूमेन्टी फिल्म बना चुके फिल्मकार प्रदीप सुविज्ञ ने किया। इस अवसर पर कवयित्री रंजना जायसवाल, अनिता अग्रवाल, प्रो अशोक कुमार सक्सेना, वरिष्ठ कवि देवेन्द्र आर्य, कथाकार लाल बहादुर, कमलेश गुप्ता, सिद्धार्थ शंकर, सत्यनारायण मिश्र, डा मुन्ना तिवारी, जगदीश श्रीवास्तव, उन्मेष सिन्हा, मनोज कुमार सिंह, आरिफ अजीज लेनिन, आसिफ सईद आदि उपस्थित थे।

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